वो दुश्मनी से देखते हैं देखते तो हैं
मैं शाद हूँ कि हूँ तो किसी की निगाह में
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हटाओ आइना उम्मीद-वार हम भी हैं
इन शोख़ हसीनों पे जो माइल नहीं होता
समझता हूँ सबब काफ़िर तिरे आँसू निकलने का
पूछा न जाएगा जो वतन से निकल गया
उल्फ़त में बराबर है वफ़ा हो कि जफ़ा हो
हैं न ज़िंदों में न मुर्दों में कमर के आशिक़
सारा पर्दा है दुई का जो ये पर्दा उठ जाए
ख़ंजर चले किसी पे तड़पते हैं हम 'अमीर'
बाद मरने के भी छोड़ी न रिफ़ाक़त मेरी
तुम को आता है प्यार पर ग़ुस्सा
मिसी छूटी हुई सूखे हुए होंट
वाए क़िस्मत वो भी कहते हैं बुरा