हमें नज़दीक कब दिल की मोहब्बत खींच लाती है

हमें नज़दीक कब दिल की मोहब्बत खींच लाती है

तुझे तेरी मुझे मेरी ज़रूरत खींच लाती है

छुपा है जो ख़ज़ाना तह में इन बंजर ज़मीनों की

उसे बाहर ज़मीं से मेरी मेहनत खींच लाती है

मैं माज़ी को भुला कर अपने मुस्तक़बिल में ज़िंदा हूँ

निगाहों से है जो ओझल बशारत खींच लाती है

मिरा दुश्मन मिरी आँखों से ओझल हो नहीं सकता

मिरे नज़दीक उस को दिल की नफ़रत खींच लाती है

समुंदर पार जाने वाले इक दन लौट आएँगे

मिरा ईमाँ है मिट्टी की मोहब्बत खींच लाती है

जो अपना घर किसी के इश्क़ में बर्बाद करते हैं

उन्हें सहरा में उन के दिल की वहशत खींच लाती है

कभी होता है जो वीरान मेरे शहर का मक़्तल

किसी मंसूर को 'आरिफ़' सदाक़त खींच लाती है

(799) Peoples Rate This

Your Thoughts and Comments

Hamein Nazdik Kab Dil Ki Mohabbat Khinch Lati Hai In Hindi By Famous Poet Arif Shafiq. Hamein Nazdik Kab Dil Ki Mohabbat Khinch Lati Hai is written by Arif Shafiq. Complete Poem Hamein Nazdik Kab Dil Ki Mohabbat Khinch Lati Hai in Hindi by Arif Shafiq. Download free Hamein Nazdik Kab Dil Ki Mohabbat Khinch Lati Hai Poem for Youth in PDF. Hamein Nazdik Kab Dil Ki Mohabbat Khinch Lati Hai is a Poem on Inspiration for young students. Share Hamein Nazdik Kab Dil Ki Mohabbat Khinch Lati Hai with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.