मोहब्बत सोज़ भी है साज़ भी है
ख़मोशी भी है ये आवाज़ भी है
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जश्न-ए-आज़ादी
हुस्न पर दस्तरस की बात न कर
है देखने वालों को सँभलने का इशारा
नैरंगी-ए-बहार-ओ-ख़िज़ाँ देखते रहे
मैं क्यूँ भूल जाऊँ
बस इसी धुन में रहा मर के मिलेगी जन्नत
ये दौर-ए-ख़िरद है दौर-ए-जुनूँ इस दौर में जीना मुश्किल है
हुस्न हर हाल में है हुस्न परागंदा नक़ाब
इस इंतिहा-ए-तर्क-ए-मोहब्बत के बावजूद
जितनी वो मिरे हाल पे करते हैं जफ़ाएँ
दर्द का हाल आह से पूछो
तौबा तौबा ये बला-ख़ेज़ जवानी तौबा