ये हम-सफ़र तो सभी अजनबी से लगते हैं
मैं जिस के साथ चला था वो क़ाफ़िला है कहाँ
Wasi Shah
Mir Taqi Mir
Mohsin Naqvi
Javed Akhtar
Jaun Eliya
Parveen Shakir
Anwar Masood
Habib Jalib
Allama Iqbal
Ahmad Faraz
Gulzar
Faiz Ahmad Faiz
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देर तक चंद मुख़्तसर बातें
लोग कहते हैं कि वो शख़्स है ख़ुशबू जैसा
तुम्हारे साथ मिरे मुख़्तलिफ़ मरासिम हैं
तुम इंतिज़ार के लम्हे शुमार मत करना
मैं इंहिमाक में ये किस मक़ाम तक पहुँचा
मिस्र फ़िरऔन की तहवील में आया हुआ है
तू मिरे पास जब नहीं होता
हर तरफ़ हद्द-ए-नज़र तक सिलसिला पानी का है
बना रखा है मंसूबा कई बरसों का तू ने
वक़्त बे-वक़्त झलकता है मिरी सूरत से
तिरी ज़मीन पे करता रहा हूँ मज़दूरी