हम अर्ज़-ए-वफ़ा भी कर न सके कुछ कह न सके कुछ सुन न सके
याँ हम ने ज़बाँ ही खोली थी वाँ आँख झुकी शरमा भी गए
Javed Akhtar
Jaun Eliya
Mir Taqi Mir
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Gulzar
Wasi Shah
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सारा आलम गोश-बर-आवाज़ है
ब-जवाब-ए-पंद-नामा
ए'तिराफ़
बहुत मुश्किल है दुनिया का सँवरना
ये आना कोई आना है कि बस रस्मन चले आए
ख़ाना-ब-दोश
मुजरिम-ए-सरताबी-ए-हुस्न-ए-जवाँ हो जाइए
इश्क़ का ज़ौक़-ए-नज़ारा मुफ़्त में बदनाम है
आहंग-ए-नौ
बोल! अरी ओ धरती बोल!
शहर-ए-निगार
शम-ए-रह-गुज़र