Heart Broken Poetry of Atiiqullah

Heart Broken Poetry of Atiiqullah
नामअतीक़ुल्लाह
अंग्रेज़ी नामAtiiqullah
जन्म की तारीख1941
जन्म स्थानDelhi

सफ़र-गिरफ़्ता रहे कुश्तगान-ए-नान-ओ-नमक

पानी था मगर अपने ही दरिया से जुदा था

इस गली से उस गली तक दौड़ता रहता हूँ मैं

कितना मुश्किल है

हमारे मा-बैन

वो तवानाई कहाँ जो कल तलक आज़ा में थी

वो मेरे नाले का शोर ही था शब-ए-सियह की निहायतों में

वो जो सर्फ़-ए-निगाह करता है

मुझ से बे-ज़ारो न यूँ संग से मारो मुझ को

मिरे सुपुर्द कहाँ वो ख़ज़ाना करता था

क्या तुम ने कभी ज़िंदगी करते हुए देखा

कीसा-ए-दरवेश में जो भी है ज़र उतना ही है

ख़्वाबों की किर्चियाँ मिरी मुट्ठी में भर न जाए

कौन गुज़रा था मेहराब-ए-जाँ से अभी ख़ामुशी शोर भरता हुआ

जब भी तन्हाई के एहसास से घबराता हूँ

इस दश्त नवर्दी में जीना बहुत आसाँ था

गरचे मैं सर से पैर तलक नोक-ए-संग था

दे कर पिछली यादों का अम्बार मुझे

चराग़ हाथों के बुझ रहे हैं सितारा हर रह-गुज़र में रख दे

बहुत दिन से तुम्हें देखा नहीं था

अंधेरा मेरे बातिन में पड़ा था

आसमाँ का सितारा न महताब है

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