ख़ुद हमीं को राहतों के कैफ़ का चसका न था

ख़ुद हमीं को राहतों के कैफ़ का चसका न था

ज़िंदगी का ज़हर वर्ना इस क़दर कड़वा न था

उस ने तन्हाई से घबरा कर पुकारा तो नहीं

इस से पहले तो मिरा दिल इस तरह धड़का न था

हाए वो आलम कि उन की बज़्म में भी बैठ कर

मैं यही सोचा किया मैं तो कभी तन्हा न था

उस के अपने हाथ रुख़्सारों को सहलाने लगे

गो ब-ज़ाहिर मेरी बाबत उस ने कुछ सोचा न था

हर तरफ़ खिलती रहीं कलियाँ नसीम-ए-सुब्ह से

अपनी क़िस्मत में सबा का एक भी झोंका न था

ज़िंदगी ऐ ज़िंदगी!! आ दो घड़ी मिल कर रहें

तुझ से मेरा उम्र-भर का तो कोई झगड़ा न था

सोचते हैं अब उसे 'आज़ाद' हम क्या नाम दें

उम्र का वो दौर दिल में जब कोई सौदा न था

(639) Peoples Rate This

Your Thoughts and Comments

KHud Hamin Ko Rahaton Ke Kaif Ka Chaska Na Tha In Hindi By Famous Poet Azad Gulati. KHud Hamin Ko Rahaton Ke Kaif Ka Chaska Na Tha is written by Azad Gulati. Complete Poem KHud Hamin Ko Rahaton Ke Kaif Ka Chaska Na Tha in Hindi by Azad Gulati. Download free KHud Hamin Ko Rahaton Ke Kaif Ka Chaska Na Tha Poem for Youth in PDF. KHud Hamin Ko Rahaton Ke Kaif Ka Chaska Na Tha is a Poem on Inspiration for young students. Share KHud Hamin Ko Rahaton Ke Kaif Ka Chaska Na Tha with your friends on Twitter, Whatsapp and Facebook.