संदेसा
उसे कहना
यहाँ सब कुछ
तुम्हारे बिन अधूरा है
गए लम्हों की यादें हैं
अज़ाब-ए-ज़िंदगानी है
फ़िराक़-ए-ना-गहानी है
उसे कहना
कि लौट आए
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उसे कहना
यहाँ सब कुछ
तुम्हारे बिन अधूरा है
गए लम्हों की यादें हैं
अज़ाब-ए-ज़िंदगानी है
फ़िराक़-ए-ना-गहानी है
उसे कहना
कि लौट आए
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