Sad Poetry of Baqa Baluch
नाम | बक़ा बलूच |
---|---|
अंग्रेज़ी नाम | Baqa Baluch |
कविताएं
Ghazal 9
Nazam 4
Couplets 12
Love 13
Sad 17
Heart Broken 14
Hope 4
Friendship 1
Islamic 2
ख्वाब 2
तू ख़ुश है अपनी दुनिया में
सिर्फ़ मौसम के बदलने ही पे मौक़ूफ़ नहीं
मैं किनारे पे खड़ा हूँ तो कोई बात नहीं
कैसा लम्हा आन पड़ा है
एक उलझन रात दिन पलती रही दिल में कि हम
दर्द उट्ठा था मिरे पहलू में
संदेसा
मुझे इक शेर कहना है
माँ
उम्र भर कुछ ख़्वाब दिल पर दस्तकें देते रहे
सब्र-ओ-ज़ब्त की जानाँ दास्ताँ तो मैं भी हूँ दास्ताँ तो तुम भी हो
क्या पूछते हो मैं कैसा हूँ
क्या कहें क्या हुस्न का आलम रहा
कम कम रहना ग़म के सुर्ख़ जज़ीरों में
कैसा लम्हा आन पड़ा है
जाने क्या सोच के घर तक पहुँचा
अब नहीं दर्द छुपाने का क़रीना मुझ में