हम मिलें या न मिलें फिर भी कभी ख़्वाबों में
मुस्कुराती हुई आएँगी हमारी बातें
Jaun Eliya
Mohsin Naqvi
Anwar Masood
Habib Jalib
Rahat Indori
Javed Akhtar
Parveen Shakir
Mir Taqi Mir
Gulzar
Wasi Shah
Faiz Ahmad Faiz
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ऐसी बेगानगी नहीं देखी
औरों पे इत्तिफ़ाक़ से सब्क़त मिली मुझे
काफ़िरी इश्क़ का शेवा है मगर तेरे लिए
फ़ासले ऐसे कि इक उम्र में तय हो न सकें
अजीब दिल में मिरे आज इज़्तिराब सा है!
हर बात यहाँ राज़ बनी जाती है
कहने को बहुत अहल-ए-क़लम आए हैं
हमारे ब'अद
अशआर में ढलता है मिरा सोज़-ए-दरूँ
मरहूम तमन्नाओं को क्या याद करें
उस ने कहा!
बरसों पढ़ कर सरकश रह कर ज़ख़्मी हो कर समझा मैं