ख़त्म हुईं सारी बातें
अच्छा अब चलता हूँ मैं
Anwar Masood
Mir Taqi Mir
Jaun Eliya
Gulzar
Faiz Ahmad Faiz
Rahat Indori
Javed Akhtar
Ahmad Faraz
Allama Iqbal
Wasi Shah
Habib Jalib
Parveen Shakir
Love Poetry
Funny Poetry
Sad Poetry
Rain Poetry
Sharabi Poetry
Friends Poetry
(701) Peoples Rate This
हज़ार कहता रहा मैं कि यार एक मिनट
कर लिया दिन में काम आठ से पाँच
दिल में हर-चंद आरज़ू थी बहुत
बादल है और फूल खिले हैं सभी तरफ़
दिल लगा लेते हैं अहल-ए-दिल वतन कोई भी हो
अब दिल को समझाए कौन
चमकी थी एक बर्क़ सी फूलों के आस-पास
कुछ तो हस्सास हम ज़ियादा हैं
क़रार पाते हैं आख़िर हम अपनी अपनी जगह
तेरे दिए हुए दुख
बढ़ गई तुझ से मिल के तन्हाई