मैं इक थका हुआ इंसान और क्या करता
तरह तरह के तसव्वुर ख़ुदा से बाँध लिए
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मैं ही अपनी क़ैद में था और मैं ही एक दिन
कहीं से नीले कहीं से काले पड़े हुए हैं
ख़्वाब में देख रहा हूँ कि हक़ीक़त में उसे
तुम ने पूछा है तो अहवाल बता देते हैं
हम ने किसी की याद में अक्सर शराब पी
सरहदें
गुज़रती है जो दिल पर वो कहानी याद रखता हूँ
तुम कभी एक नज़र मेरी तरफ़ भी देखो
मैं अपने आप से आगे निकलने वाला था
ज़िंदगानी को अदम-आबाद ले जाने लगा
ज़ियादा देर उसे देखना भी है 'फ़ाज़िल'
मुद्दत के ब'अद आज मैं ऑफ़िस नहीं गया