Hope Poetry of Figar Unnavi

Hope Poetry of Figar Unnavi
नामफ़िगार उन्नावी
अंग्रेज़ी नामFigar Unnavi

फूलों को गुलिस्ताँ में कब रास बहार आई

किसी से शिकवा-ए-महरूमी-ए-नियाज़ न कर

का'बे में हो या बुत-ख़ाने में होने को तो सर ख़म होता है

हसरत-ए-दिल ना-मुकम्मल है किताब-ए-ज़िंदगी

इक तेरा आसरा है फ़क़त ऐ ख़याल-ए-दोस्त

एक ख़्वाब-ओ-ख़याल है दुनिया

तुम हरीम-ए-नाज़ में बैठे हो बेगाने बने

तूफ़ाँ से बच के दामन-ए-साहिल में रह गया

लब पे झूटे तराने होते हैं

किसी अपने से होती है न बेगाने से होती है

जुरअत-ए-इश्क़ हवस-कार हुई जाती है

जफ़ा-ए-यार को हम लुत्फ़-ए-यार कहते हैं

हस्ती इक नक़्श-ए-इनइकासी है

चला हूँ अपनी मंज़िल की तरफ़ तो शादमाँ हो कर

आरज़ू हसरत-ए-नाकाम से आगे न बढ़ी

फ़िगार उन्नावी Hope Poetry in Hindi - Read famous Hope Shayari, Romantic Ghazals & Sad Poetry written by फ़िगार उन्नावी. Largest collection of Hope Poems, Sad Ghazals including Two Line Sher and SMS by फ़िगार उन्नावी. Share the फ़िगार उन्नावी Hope Potery, Romantic Hindi Ghazals and Sufi Shayari with your friends on whats app, facebook and twitter.