Sharab Poetry of Figar Unnavi

Sharab Poetry of Figar Unnavi
नामफ़िगार उन्नावी
अंग्रेज़ी नामFigar Unnavi

सर-ए-महफ़िल हमारे दिल को लूटा चश्म-ए-साक़ी ने

साक़ी ने निगाहों से पिला दी है ग़ज़ब की

मायूस दिलों को अब छेड़ो भी तो क्या हासिल

दिल है मिरा रंगीनी-ए-आग़ाज़ पे माइल

तुम हरीम-ए-नाज़ में बैठे हो बेगाने बने

शोहरत-ए-तर्ज़-ए-फ़ुग़ाँ आम हुई जाती है

सई-ए-ग़ैर-हासिल को मुद्दआ नहीं मिलता

कुछ काम तो आया दिल-ए-नाकाम हमारा

किसी अपने से होती है न बेगाने से होती है

हासिल-ए-ज़ब्त-ए-फ़ुग़ाँ नाकाम है

हदीस-ए-सोज़-ओ-साज़-ए-शम्-ओ-परवाना नहीं कहते

ग़म-ए-जानाँ से रंगीं और कोई ग़म नहीं होता

आरज़ू हसरत-ए-नाकाम से आगे न बढ़ी

फ़िगार उन्नावी Sharab Poetry in Hindi - Read famous Sharab Shayari, Romantic Ghazals & Sad Poetry written by फ़िगार उन्नावी. Largest collection of Sharab Poems, Sad Ghazals including Two Line Sher and SMS by फ़िगार उन्नावी. Share the फ़िगार उन्नावी Sharab Potery, Romantic Hindi Ghazals and Sufi Shayari with your friends on whats app, facebook and twitter.