Coupletss of Figar Unnavi

Coupletss of Figar Unnavi
नामफ़िगार उन्नावी
अंग्रेज़ी नामFigar Unnavi

यक़ीन-ए-वा'दा-ए-फ़र्दा हमें बावर नहीं आता

उन पे क़ुर्बान हर ख़ुशी कर दी

तिरे ग़म के सामने कुछ ग़म-ए-दो-जहाँ नहीं है

शिकस्त-ए-दिल की हर आवाज़ हश्र-आसार होती है

सर-ए-महफ़िल हमारे दिल को लूटा चश्म-ए-साक़ी ने

साक़ी ने निगाहों से पिला दी है ग़ज़ब की

क़दम क़दम पे दोनों जुर्म-ए-इश्क़ में शरीक हैं

क़दम अपने हरीम-ए-नाज़ में इस शौक़ से रखना

फूलों को गुलिस्ताँ में कब रास बहार आई

परतव-ए-हुस्न से ज़र्रे भी बने आईने

मेरी जबीन-ए-शौक़ ने सज्दे जहाँ किए

मायूस दिलों को अब छेड़ो भी तो क्या हासिल

महफ़िल-ए-कौन-ओ-मकाँ तेरी ही बज़्म-ए-नाज़ है

क्या मिला अर्ज़-ए-मुद्दआ से 'फ़िगार'

किसी से शिकवा-ए-महरूमी-ए-नियाज़ न कर

किस काम का ऐसा दिल जिस में रंजिश है ग़ुबार है कीना है

का'बे में हो या बुत-ख़ाने में होने को तो सर ख़म होता है

काबा भी घर अपना है सनम-ख़ाना भी अपना

हसरत-ए-दिल ना-मुकम्मल है किताब-ए-ज़िंदगी

हैं ये जज़्बात मिरे दर्द भरे दिल के फ़िगार

ग़म-ओ-अलम से जो ताबीर की ख़ुशी मैं ने

फ़ज़ा का तंग होना फ़ितरत-ए-आज़ाद से पूछो

इक तेरा आसरा है फ़क़त ऐ ख़याल-ए-दोस्त

एक ख़्वाब-ओ-ख़याल है दुनिया

दीवाने को मजाज़-ओ-हक़ीक़त से क्या ग़रज़

दिल मिरा शाकी-ए-जफ़ा न हुआ

दिल की बुनियाद पे ता'मीर कर ऐवान-ए-हयात

दिल है मिरा रंगीनी-ए-आग़ाज़ पे माइल

दिल चोट सहे और उफ़ न करे ये ज़ब्त की मंज़िल है लेकिन

छुप गया दिन क़दम बढ़ा राही

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