अजब है आलम अजब है मंज़र कि सकता में है ये चश्म-ए-हैरत
नक़ाब उलट कर वो आ गए हैं तो आइने गुनगुना रहे हैं
Mohsin Naqvi
Javed Akhtar
Allama Iqbal
Parveen Shakir
Gulzar
Habib Jalib
Jaun Eliya
Wasi Shah
Mir Taqi Mir
Faiz Ahmad Faiz
Anwar Masood
Rahat Indori
Love Poetry
Funny Poetry
Sad Poetry
Rain Poetry
Sharabi Poetry
Friends Poetry
(692) Peoples Rate This
शदीद तुंद हवाएँ हैं क्या किया जाए
कोई साग़र पे साग़र पी रहा है कोई तिश्ना है
ख़ल्वत-ए-जाँ में तिरा दर्द बसाना चाहे
तुम ख़ुद ही मोहब्बत की हर इक बात भुला दो
देखो हमारी सम्त कि ज़िंदा हैं हम अभी
आइने में है फ़क़त आप का अक्स
कुश्ता-ए-ज़बत-ए-फुग़ाँ नग़्मा-ए-बे-साज़-ओ-सदा
शामिल हुए हैं बज़्म में मिस्ल-ए-चराग़ हम
शिकस्ता दिल किसी का हो हम अपना दिल समझते हैं
जो कुशूद-ए-कार-ए-तिलिस्म है वो फ़क़त हमारा ही इस्म है
हाल-ए-दिल-ए-बीमार समझ में चारागरों की आए कम
देखना ये इश्क़ में हुस्न-ए-पज़ीराई के रंग