Bewafa Poetry (page 31)
जवाब-ए-शिकवा
अल्लामा इक़बाल
गोरिस्तान-ए-शाही
अल्लामा इक़बाल
तिरे इश्क़ की इंतिहा चाहता हूँ
अल्लामा इक़बाल
असर करे न करे सुन तो ले मिरी फ़रियाद
अल्लामा इक़बाल
यार के दरसन के ख़ातिर जान और तन भूल जा
अलीमुल्लाह
तर्क दे इस्लाम को और कुफ़्र सारा दूर कर
अलीमुल्लाह
यार के दरसन के ख़ातिर जान और तन भूल जा
अलीमुल्लाह
पहले भी कौन साथ था
अली वजदान
उर्दू
अली सरदार जाफ़री
तुम नहीं आए थे जब
अली सरदार जाफ़री
नींद
अली सरदार जाफ़री
मिरे अज़ीज़ो, मिरे रफ़ीक़ो
अली सरदार जाफ़री
हाथों का तराना
अली सरदार जाफ़री
एक बात
अली सरदार जाफ़री
बहुत क़रीब हो तुम
अली सरदार जाफ़री
अब भी रौशन हैं
अली सरदार जाफ़री
ज़ुल्म की कुछ मीआ'द नहीं है
अली सरदार जाफ़री
सुब्ह हर उजाले पे रात का गुमाँ क्यूँ है
अली सरदार जाफ़री
शाख़-ए-गुल है कि ये तलवार खिंची है यारो
अली सरदार जाफ़री
मौसम-ए-रंग भी है फ़स्ल-ए-ख़िज़ाँ भी तारी
अली सरदार जाफ़री
लू के मौसम में बहारों की हवा माँगते हैं
अली सरदार जाफ़री
कितनी आशाओं की लाशें सूखें दिल के आँगन में
अली सरदार जाफ़री
ख़िरद वालो जुनूँ वालों के वीरानों में आ जाओ
अली सरदार जाफ़री
हम जो महफ़िल में तिरी सीना-फ़िगार आते हैं
अली सरदार जाफ़री
फ़रोग़-ए-दीदा-ओ-दिल लाला-ए-सहर की तरह
अली सरदार जाफ़री
अभी और तेज़ कर ले सर-ए-ख़ंजर-ए-अदा को
अली सरदार जाफ़री
मस्ती-ए-गाम भी थी ग़फ़लत-ए-अंजाम के साथ
अली जव्वाद ज़ैदी
जवानी हरीफ़-ए-सितम है तो क्या ग़म
अली जव्वाद ज़ैदी
आँख कुछ बे-सबब ही नम तो नहीं
अली जव्वाद ज़ैदी
बर-सर-ए-बाद हुआ अपना ठिकाना सर-ए-राह
अली इफ़्तिख़ार ज़ाफ़री