ख्वाब Poetry (page 66)
कौन गुज़रा था मेहराब-ए-जाँ से अभी ख़ामुशी शोर भरता हुआ
अतीक़ुल्लाह
फ़रार के लिए जब रास्ता नहीं होगा
अतीक़ुल्लाह
बहुत दिनों में कहीं रास्ते बदलते थे
अतीक़ुल्लाह
अंधेरा मेरे बातिन में पड़ा था
अतीक़ुल्लाह
आसमाँ का सितारा न महताब है
अतीक़ुल्लाह
कर के ख़्वाब आँख में पहले तो वो लाए ख़ुद को
आतिफ़ ख़ान
जो तकब्बुर से भटकती है ज़बाँ
आतिफ़ ख़ान
यूँ तसव्वुर में दबे पाँव तिरी याद आई
अतहर राज़
फूलों से बहारों में जुदा थे तो हमीं थे
अतहर राज़
ग़म के बादल दिल-ए-नाशाद पे ऐसे छाए
अतहर राज़
मैं पूछ लेता हूँ यारों से रत-जगों का सबब
अतहर नासिक
यही जो तेरे मिरे दिल की राजधानी थी
अतहर नासिक
यही बहुत है कि अहबाब पूछ लेते हैं
अतहर नासिक
ख़ुद को किसी की राह-गुज़र किस लिए करें
अतहर नासिक
अगर यक़ीन न रखते गुमान तो रखते
अतहर नासिक
ख़्वाबों के उफ़ुक़ पर तिरा चेहरा हो हमेशा
अतहर नफ़ीस
वो इश्क़ जो हम से रूठ गया अब उस का हाल बताएँ क्या
अतहर नफ़ीस
सोचते और जागते साँसों का इक दरिया हूँ मैं
अतहर नफ़ीस
सौ रंग है किस रंग से तस्वीर बनाऊँ
अतहर नफ़ीस
हम भी बदल गए तिरी तर्ज़-ए-अदा के साथ साथ
अतहर नफ़ीस
दिल की मसर्रतें नई जाँ का मलाल है नया
अतहर नफ़ीस
दम-ब-दम बढ़ रही है ये कैसी सदा शहर वालो सुनो
अतहर नफ़ीस
उभरा जो चाँद ऊँघती परछाइयाँ मिलीं
अतहर अज़ीज़
शब-गज़ीदा के घर नहीं आती
अतीया नियाज़ी
काश समझदार न बनूँ
अतीया दाऊद
कोई नहीं हमारा पुर्सान-ए-हाल अब के
अतीक़ुर्रहमान सफ़ी
अन-गिनत अज़ाब हैं रतजगों के दरमियाँ
अतीक़ुर्रहमान सफ़ी
वो ग़ज़ल की किताब है प्यारे
अतीक़ अंज़र
उदास बैठा दिए ज़ख़्म के जलाए हुए
अतीक़ अंज़र
मिरी ज़िंदगी किसी मोड़ पर कभी आँसुओं से वफ़ा न दे
अतीक़ अंज़र