Love Poetry (page 400)
वो मेरे क़ल्ब को छेदेगा कब गुमान में था
अातिश बहावलपुरी
सितम को उन का करम कहें हम जफ़ा को मेहर-ओ-वफ़ा कहें हम
अातिश बहावलपुरी
मुझे उन से मोहब्बत हो गई है
अातिश बहावलपुरी
लाख पर्दों में गो निहाँ हम थे
अातिश बहावलपुरी
ख़मोश बैठे हो क्यूँ साज़-ए-बे-सदा की तरह
अातिश बहावलपुरी
कमाल-ए-हुस्न का जिस से तुम्हें ख़ज़ाना मिला
अातिश बहावलपुरी
इब्तिदा बिगड़ी इंतिहा बिगड़ी
अातिश बहावलपुरी
हर्फ़-ए-शिकवा न लब पे लाओ तुम
अातिश बहावलपुरी
आप की हस्ती में ही मस्तूर हो जाता हूँ मैं
अातिश बहावलपुरी
मिरी राख में थीं कहीं कहीं मेरे एक ख़्वाब की किर्चियाँ
आतिफ़ वहीद 'यासिर'
किस के बदन की नर्मियाँ हाथों को गुदगुदा गईं
आतिफ़ वहीद 'यासिर'
इश्क़ जैसे कहीं छूने से भी लग जाता हो
आतिफ़ वहीद 'यासिर'
तिरी दोस्ती का कमाल था मुझे ख़ौफ़ था न मलाल था
आतिफ़ वहीद 'यासिर'
गुफ़्तुगू करने लगे रेत के अम्बार के साथ
आतिफ़ वहीद 'यासिर'
आँखों को नक़्श-ए-पा तिरा दिल को ग़ुबार कर दिया
आतिफ़ वहीद 'यासिर'
ज़ंग-ख़ुर्दा लब अचानक आफ़्ताबी हो गए
आतिफ़ कमाल राना
तुम्हें गिला ही सही हम तमाशा करते हैं
आतिफ़ कमाल राना
बहार-ए-ज़ख़्म-ए-लब-ए-आतिशीं हुई मुझ से
आतिफ़ कमाल राना
फिर किसी हादसे का दर खोले
अस्नाथ कंवल
काग़ज़ क़लम दवात के अंदर रुक जाता है
अस्नाथ कंवल
इंतिहा होने से पहले सोच ले
अस्नाथ कंवल
बर्क़ बाराँ तीरगी और ज़लज़ला
आसिम शहनवाज़ शिबली
तुम्हारी याद का साया न होगा
आसिम शहनवाज़ शिबली
सब्र पर दिल को तो आमादा किया है लेकिन
आसी उल्दनी
मुरत्तब कर गया इक इश्क़ का क़ानून दुनिया में
आसी उल्दनी
इश्क़ पाबंद-ए-वफ़ा है न कि पाबंद-ए-रुसूम
आसी उल्दनी
क़ैद से पहले भी आज़ादी मिरी ख़तरे में थी
आसी उल्दनी
क़ैद से पहले भी आज़ादी मिरी ख़तरे में थी
आसी उल्दनी
हज़ारों तरह अपना दर्द हम उस को सुनाते हैं
आसी उल्दनी
हज़ारों तरह अपना दर्द हम इस को सुनाते हैं
आसी उल्दनी