Love Poetry (page 399)
नीला अम्बर चाँद सितारे बच्चों की जागीरें हैं
आज़िम कोहली
मिरी यादें भला तुम किस तरह दिल से मिटाओगे
आज़िम कोहली
किधर का था किधर का हो गया हूँ
आज़िम कोहली
ख़याल-ए-यार का जल्वा यहाँ भी था वहाँ भी था
आज़िम कोहली
ख़ाक से थे ख़ाक से ही हो गए
आज़िम कोहली
जो होगा सब ठीक ही होगा होने दो जो होना है
आज़िम कोहली
जब कभी तुम मेरी जानिब आओगे
आज़िम कोहली
हो सितम कैसा भी अब हालात की शमशीर का
आज़िम कोहली
इक इश्क़ है कि जिस की गली जा रहा हूँ मैं
आज़िम कोहली
एहसास के सूखे पत्ते भी अरमानों की चिंगारी भी
आज़िम कोहली
दूर है मंज़िल तो क्या रस्ता तो है
आज़िम कोहली
दोस्तों की बज़्म में साग़र उठाए जाएँगे
आज़िम कोहली
बहुत अज़ीज़ था आलम वो दिल-फ़िगारी का
आज़िम कोहली
आ कि चाहत वस्ल की फिर से बड़ी पुर-ज़ोर है
आज़िम कोहली
उल्फ़तों का ख़ुदा नहीं हूँ मैं
अातिश इंदौरी
शजर जिस पे मैं रहता हूँ उसे काटा नहीं करता
अातिश इंदौरी
क्या है ऊँचाई मोहब्बत की बताते जाओ
अातिश इंदौरी
काश मैं तुझ सा बेवफ़ा होता
अातिश इंदौरी
इश्क़ से दिल को ऊबा देखा
अातिश इंदौरी
दिल में है क्या अज़ाब कहे तो पता चले
अातिश इंदौरी
बात बच्चों की थी लड़ने को सियाने निकले
अातिश इंदौरी
ये सारी बातें हैं दर-हक़ीक़त हमारे अख़्लाक़ के मुनाफ़ी
अातिश बहावलपुरी
मुख़ालिफ़ों को भी अपना बना लिया तू ने
अातिश बहावलपुरी
मस्लहत का यही तक़ाज़ा है
अातिश बहावलपुरी
जो चाहते हो बदलना मिज़ाज-ए-तूफ़ाँ को
अातिश बहावलपुरी
ग़म-ओ-अलम भी हैं तुम से ख़ुशी भी तुम से है
अातिश बहावलपुरी
दर-हक़ीक़त इत्तिसाल-ए-जिस्म-ओ-जाँ है ज़िंदगी
अातिश बहावलपुरी
चारासाज़ों की चारा-साज़ी से
अातिश बहावलपुरी
अपने चेहरे से जो ज़ुल्फ़ों को हटाया उस ने
अातिश बहावलपुरी
ज़िंदगी गुज़री मिरी ख़ुश्क शजर की सूरत
अातिश बहावलपुरी