Sharab Poetry (page 25)
याद-ए-ग़ज़ाल-चश्माँ ज़िक्र-ए-समन-अज़ाराँ
फ़ैज़ अहमद फ़ैज़
वहीं हैं दिल के क़राइन तमाम कहते हैं
फ़ैज़ अहमद फ़ैज़
तुम आए हो न शब-ए-इंतिज़ार गुज़री है
फ़ैज़ अहमद फ़ैज़
तेरी सूरत जो दिल-नशीं की है
फ़ैज़ अहमद फ़ैज़
शरह-ए-फ़िराक़ मदह-ए-लब-ए-मुश्कबू करें
फ़ैज़ अहमद फ़ैज़
शरह-ए-बेदर्दी-ए-हालात न होने पाई
फ़ैज़ अहमद फ़ैज़
सहल यूँ राह-ए-ज़िंदगी की है
फ़ैज़ अहमद फ़ैज़
रंग पैराहन का ख़ुशबू ज़ुल्फ़ लहराने का नाम
फ़ैज़ अहमद फ़ैज़
नहीं निगाह में मंज़िल तो जुस्तुजू ही सही
फ़ैज़ अहमद फ़ैज़
न किसी पे ज़ख़्म अयाँ कोई न किसी को फ़िक्र रफ़ू की है
फ़ैज़ अहमद फ़ैज़
कुछ मोहतसिबों की ख़ल्वत में कुछ वाइ'ज़ के घर जाती है
फ़ैज़ अहमद फ़ैज़
कभी कभी याद में उभरते हैं नक़्श-ए-माज़ी मिटे मिटे से
फ़ैज़ अहमद फ़ैज़
कब ठहरेगा दर्द ऐ दिल कब रात बसर होगी
फ़ैज़ अहमद फ़ैज़
जमेगी कैसे बिसात-ए-याराँ कि शीशा ओ जाम बुझ गए हैं
फ़ैज़ अहमद फ़ैज़
इश्क़ मिन्नत-कश-ए-क़रार नहीं
फ़ैज़ अहमद फ़ैज़
हसरत-ए-दीद में गुज़राँ हैं ज़माने कब से
फ़ैज़ अहमद फ़ैज़
हर सम्त परेशाँ तिरी आमद के क़रीने
फ़ैज़ अहमद फ़ैज़
हमीं से अपनी नवा हम-कलाम होती रही
फ़ैज़ अहमद फ़ैज़
ग़म-ब-दिल शुक्र-ब-लब मस्त ओ ग़ज़ल-ख़्वाँ चलिए
फ़ैज़ अहमद फ़ैज़
दोनों जहान तेरी मोहब्बत में हार के
फ़ैज़ अहमद फ़ैज़
दिल में अब यूँ तिरे भूले हुए ग़म आते हैं
फ़ैज़ अहमद फ़ैज़
चश्म-ए-मयगूँ ज़रा इधर कर दे
फ़ैज़ अहमद फ़ैज़
आज यूँ मौज-दर-मौज ग़म थम गया इस तरह ग़म-ज़दों को क़रार आ गया
फ़ैज़ अहमद फ़ैज़
आए कुछ अब्र कुछ शराब आए
फ़ैज़ अहमद फ़ैज़
ताक़त के सारे ज़ोर को ख़ामोश कर दिया
फ़ैय्याज़ रश्क़
क्यूँ आसमान-ए-हिज्र के तारे चले गए
फ़ैसल फेहमी
नज़्र-ए-फ़िराक़
फ़हमीदा रियाज़
ख़ाकम-ब-दहन
फ़हमीदा रियाज़
चलती साँसों को जाम करने लगा
फ़हमी बदायूनी
जब सजीले ख़िराम करते हैं
फ़ाएज़ देहलवी