Sharab Poetry (page 9)
वो दिल में और क़रीब-ए-रग-ए-गुलू भी मिले
हनीफ़ अख़गर
जल्वों का जो तेरे कोई प्यासा नज़र आया
हनीफ़ अख़गर
इश्क़ जब मंज़िल-ए-आख़िर से गुज़रता होगा
हनीफ़ अख़गर
यक़ीन से बाहर बिखरा सच
हमीदा शाहीन
सुब्ह भी अपनी शाम भी अपनी
हामिद इलाहाबादी
हर वफ़ा ना-आश्ना से भी वफ़ा करना पड़ी
हामिद इलाहाबादी
अब मिरा दर्द न तेरा जादू
हमीद नसीम
हर ज़र्रा चश्म-ए-शौक़-ए-सर-ए-रहगुज़र है आज
हमीद नागपुरी
कैसा ग़ज़ब ये ऐ दिल-ए-पुर-जोश कर दिया
हमीद जालंधरी
इक मुजस्सम दर्द हूँ इक आह हूँ
हमदुन उसमानी
है मशक़्क़त मिरी इनआ'म किसी और का है
हमदम कशमीरी
मय न हो बू ही सही कुछ तो हो रिंदों के लिए
हकीम मोहम्मद अजमल ख़ाँ शैदा
फिरता रहता हूँ मैं हर लहज़ा पस-ए-जाम-ए-शराब
हकीम मोहम्मद अजमल ख़ाँ शैदा
जो होनी थी वो हम-नशीं हो चुकी
हकीम मोहम्मद अजमल ख़ाँ शैदा
दर्द को रहने भी दे दिल में दवा हो जाएगी
हकीम मोहम्मद अजमल ख़ाँ शैदा
चर्चा हमारा इश्क़ ने क्यूँ जा-ब-जा किया
हकीम मोहम्मद अजमल ख़ाँ शैदा
मय-कशी गर्दिश-ए-अय्याम से आगे न बढ़ी
हकीम नासिर
मय-कशी गर्दिश-ए-अय्याम से आगे न बढ़ी
हकीम नासिर
ऐ दोस्त कहीं तुझ पे भी इल्ज़ाम न आए
हकीम नासिर
बाद-ए-सरसर है नसीम-ए-गुलिस्ताँ मेरे लिए
हकीम मोहम्मद हुसैन अहक़र
मक़्सद-ए-हयात
हाजी लक़ लक़
हुस्न भी है पनाह में इश्क़ भी है पनाह में
हैरत गोंडवी
न जब तक कोई हम-प्याला हो मैं मय नहीं पीता
हैदर अली आतिश
मय-कदे में नश्शा की ऐनक दिखाती है मुझे
हैदर अली आतिश
ये आरज़ू थी तुझे गुल के रू-ब-रू करते
हैदर अली आतिश
वहशी थे बू-ए-गुल की तरह इस जहाँ में हम
हैदर अली आतिश
वहशत-ए-दिल ने किया है वो बयाबाँ पैदा
हैदर अली आतिश
तेरी जो याद ऐ दिल-ख़्वाह भूला
हैदर अली आतिश
ताज़ा हो दिमाग़ अपना तमन्ना है तो ये है
हैदर अली आतिश
नाज़-ओ-अदा है तुझ से दिल-आराम के लिए
हैदर अली आतिश