Sharab Poetry (page 8)
रात गुज़री कि शब-ए-वस्ल का पैग़ाम मिला
हसन नईम
लुत्फ़-ए-आग़ाज़ मिला लज़्ज़त-ए-अंजाम के बा'द
हसन नईम
कोह के सीने से आब-ए-आतशीं लाता कोई
हसन नईम
किसी हबीब ने लफ़्ज़ों का हार भेजा है
हसन नईम
ख़याल-ओ-ख़्वाब में कब तक ये गुफ़्तुगू होगी
हसन नईम
ख़ैर से दिल को तिरी याद से कुछ काम तो है
हसन नईम
दिलों में आग लगाओ नवा-कशी ही करो
हसन नईम
बीते हुए लम्हों के जो गिरवीदा रहे हैं
हसन नज्मी सिकन्दरपुरी
सर उठा कर न कभी देखा कहाँ बैठे थे
हसन कमाल
शीशा उठा कर ताक़ से हम ने
हसन बरेलवी
अब्र है गुलज़ार है मय है ख़ुशी का दौर है
हसन बरेलवी
मिरे मरने से तुम को फ़िक्र ऐ दिलदार कैसी है
हसन बरेलवी
इक क़िस्सा-ए-तवील है अफ़्साना दश्त का
हसन अज़ीज़
फ़िक्र-ए-मंज़िल है न नाम-ए-रहनुमा लेते हैं हम
हसन अज़ीमाबादी
दुनिया में कितने रंग नज़र आएँगे नए
हसन अकबर कमाल
हम तीरगी में शम्अ जलाए हुए तो हैं
हसन आबिदी
शहर में शोर है उस शोख़ के आ जाने का
हसन आबिद
हुस्न-ए-मुख़्तार सही इश्क़ भी मजबूर नहीं
हसन आबिद
हम तीरगी में शम्अ' जलाए हुए तो हैं
हसन आबिद
अली-मोहसिन एम.बी.ए, ख़ालिद-बिन-वलीद रोड
हारिस ख़लीक़
शैख़ ओ पंडित धर्म और इस्लाम की बातें करें
हरी चंद अख़्तर
तुम आए जब नहीं नाकाम लौट जाने को
हरबंस लाल अनेजा 'जमाल'
फ़ैज़-ए-दिल से मुतरिब-ए-कामिल हुआ जाता हूँ मैं
हरबंस लाल अनेजा 'जमाल'
अश्कों का मिरी आँख से पैग़ाम न आए
हरबंस लाल अनेजा 'जमाल'
साक़िया ऐसा पिला दे मय का मुझ को जाम तल्ख़
हक़ीर
साक़िया ऐसा पिला दे मय का मुझ को जाम तल्ख़
हक़ीर
बहार आई है सदमे से हमारा हाल अबतर है
हक़ीर
फ़ज़ाओं में कुछ ऐसी खलबली थी
हनीफ़ फ़ौक़
चश्म-ए-पुर-नम अभी मरहून-ए-असर हो न सकी
हनीफ़ फ़ौक़
कोई साग़र पे साग़र पी रहा है कोई तिश्ना है
हनीफ़ अख़गर