Sharab Poetry (page 7)
नज़्ज़ारा-ए-पैहम का सिला मेरे लिए है
हसरत मोहानी
न सूरत कहीं शादमानी की देखी
हसरत मोहानी
न समझे दिल फ़रेब-ए-आरज़ू को
हसरत मोहानी
न सही गर उन्हें ख़याल नहीं
हसरत मोहानी
क्या तुम को इलाज-ए-दिल-ए-शैदा नहीं आता
हसरत मोहानी
ख़ू समझ में नहीं आती तिरे दीवानों की
हसरत मोहानी
जो वो नज़र बसर-ए-लुत्फ़ आम हो जाए
हसरत मोहानी
हम ने किस दिन तिरे कूचे में गुज़ारा न किया
हसरत मोहानी
दीदनी हैं दिल-ए-ख़राब के रंग
हसरत मोहानी
बाम पर आने लगे वो सामना होने लगा
हसरत मोहानी
आसान-ए-हक़ीकी है न कुछ सहल-ए-मजाज़ी
हसरत मोहानी
साक़िया पैहम पिला दे मुझ को माला-माल जाम
हसरत अज़ीमाबादी
सज्दा-गाह-ए-बरहमन और शैख़ हैं दैर-ओ-हरम
हसरत अज़ीमाबादी
मय-कशी में रखते हैं हम मशरब-ए-दुर्द-ए-शराब
हसरत अज़ीमाबादी
वफ़ा के हैं ख़्वान पर निवाले ज़े-आब अव्वल दोअम ब-आतिश
हसरत अज़ीमाबादी
साक़ी हैं रोज़-ए-नौ-बहार यक दो सह चार पंज ओ शश
हसरत अज़ीमाबादी
न ग़रज़ नंग से रखते हैं न कुछ नाम से काम
हसरत अज़ीमाबादी
इश्क़ में गुल के जो नालाँ बुलबुल-ए-ग़मनाक है
हसरत अज़ीमाबादी
हर तरफ़ है उस से मेरे दिल के लग जाने में धूम
हसरत अज़ीमाबादी
है रश्क-ए-वस्ल से ग़म-ए-दिलदार ही भला
हसरत अज़ीमाबादी
अब तुझ से फिरा ये दिल-ए-नाकाम हमारा
हसरत अज़ीमाबादी
आता हूँ जब उस गली से सौ सौ ख़्वारी खींच कर
हसरत अज़ीमाबादी
आए हैं हम जहाँ में ग़म ले कर
हसरत अज़ीमाबादी
दिल-मोहल्ला ग़ुलाम हो जाए
हाशिम रज़ा जलालपुरी
गई रुतों को भी याद रखना नई रुतों के भी बाब पढ़ना
हसन रिज़वी
ज़ुल्मत ही पहले थी जो हवाले में रह गई
हसन निज़ामी
किसी ने डूबती सुब्हों तड़पती शामों को
हसन नईम
कम नहीं ऐ दिल-ए-बेताब मता-ए-उम्मीद
हसन नईम
याद का फूल सर-ए-शाम खिला तो होगा
हसन नईम
वो कज-निगाह न वो कज-शिआ'र है तन्हा
हसन नईम