Islamic Poetry of Iftikhar Arif

Islamic Poetry of Iftikhar Arif
नामइफ़्तिख़ार आरिफ़
अंग्रेज़ी नामIftikhar Arif
जन्म की तारीख1940
जन्म स्थानIslamabad

ये वक़्त किस की रऊनत पे ख़ाक डाल गया

सिपाह-ए-शाम के नेज़े पे आफ़्ताब का सर

पयम्बरों से ज़मीनें वफ़ा नहीं करतीं

मिरे ख़ुदा मुझे इतना तो मो'तबर कर दे

मैं अपने ख़्वाब से कट कर जियूँ तो मेरा ख़ुदा

शहर इल्म के दरवाज़े पर

दुआ

अबू-तालिब के बेटे

वही प्यास है वही दश्त है वही घराना है

मिरे ख़ुदा मुझे इतना तो मो'तबर कर दे

कोई तो फूल खिलाए दुआ के लहजे में

कोई मुज़्दा न बशारत न दुआ चाहती है

इन्हीं में जीते इन्हीं बस्तियों में मर रहते

हरीम-ए-लफ़्ज़ में किस दर्जा बे-अदब निकला

फ़ज़ा में वहशत-ए-संग-ओ-सिनाँ के होते हुए

दुख और तरह के हैं दुआ और तरह की

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