वो किसी को याद कर के मुस्कुराया था उधर
और मैं नादान ये समझा कि वो मेरा हुआ
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ठहरी ठहरी सी तबीअत में रवानी आई
आज फिर नींद को आँखों से बिछड़ते देखा
ये नहीं पहले तिरी याद से निस्बत कम थी
आरज़ू है सूरज को आइना दिखाने की
सिलसिला ख़त्म हुआ जलने जलाने वाला
'अशहर' बहुत सी पत्तियाँ शाख़ों से छिन गईं
सोचता हूँ तिरी तस्वीर दिखा दूँ उस को
ख़ुदा ने लाज रखी मेरी बे-नवाई की
प्यास दरिया की निगाहों से छुपा रक्खी है
प्यास के बेदार होने का कोई रस्ता न था
उर्दू