इंसाँ को चाहिए न हिम्मत हारे
बा-ईं हमा-सादगी है पुरकारी भी
ईद-ए-क़ुर्बां है आज ऐ अहल-ए-हमम
नसीहत
बे-कार न वक़्त को गुज़ारो यारो
पन चक्की
जो साहिब-ए-मक्रमत थे और दानिश-मंद
अस्लाफ़ का हिस्सा था अगर नाम-ओ-नुमूद
है बार-ए-ख़ुदा कि आलम-आरा तू है
ये मसअला-ए-दक़ीक़ सुनिए हम से
ईद-ए-रमज़ाँ है आज बा-ऐश-ओ-सुरूर
जो चाहिए वो तो है अज़ल से मौजूद