अपनी फ़ितरत पे नाज़ है मुझ को
ये चमेली की अध-खिली कलियाँ
चेहरा-ए-आफ़ाक़ को देती है नूर
तेरी फ़ितरत सुकूँ-पसंदी है
ना-मुरादी के तुंद तूफ़ाँ में
रंग-अफ़्शाँ हो जिस तरह उमीद
पर-फ़िशाँ है थका थका सा ख़याल
है कुछ ऐसी ही बरहमी ऐ दिल
दिन ये बदलेगा रात बदलेगी
शम्-ए-ज़र्रीं की नर्म लौ ऐ दोस्त
आरज़ू है कि अब मिरी हस्ती
जब कभी आलम-ए-तसव्वुर में