क्यूँ न फ़िरदौस में दोज़ख़ को मिला लें यारब
सैर के वास्ते थोड़ी सी जगह और सही
Allama Iqbal
Habib Jalib
Mir Taqi Mir
Parveen Shakir
Wasi Shah
Ahmad Faraz
Rahat Indori
Anwar Masood
Jaun Eliya
Javed Akhtar
Gulzar
Mohsin Naqvi
Love Poetry
Funny Poetry
Sad Poetry
Rain Poetry
Sharabi Poetry
Friends Poetry
(2477) Peoples Rate This
चाहिए अच्छों को जितना चाहिए
मौत का एक दिन मुअय्यन है
नज़्ज़ारे ने भी काम किया वाँ नक़ाब का
आता है दाग़-ए-हसरत-ए-दिल का शुमार याद
नज़र लगे न कहीं इन के दस्त-ओ-बाज़ू को
क्यूँ न हो चश्म-ए-बुताँ महव-ए-तग़ाफ़ुल क्यूँ न हो
क़ासिद के आते आते ख़त इक और लिख रखूँ
ज़िंदगी अपनी जब इस शक्ल से गुज़री 'ग़ालिब'
फ़ारिग़ मुझे न जान कि मानिंद-ए-सुब्ह-ओ-मेहर
नाकामी-ए-निगाह है बर्क़-ए-नज़ारा-सोज़
ये फ़ित्ना आदमी की ख़ाना-वीरानी को क्या कम है