पूछे है क्या वजूद ओ अदम अहल-ए-शौक़ का
आप अपनी आग के ख़स-ओ-ख़ाशाक हो गए
Anwar Masood
Gulzar
Mohsin Naqvi
Javed Akhtar
Jaun Eliya
Parveen Shakir
Faiz Ahmad Faiz
Habib Jalib
Allama Iqbal
Wasi Shah
Rahat Indori
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मंज़ूर थी ये शक्ल तजल्ली को नूर की
दाइम पड़ा हुआ तिरे दर पर नहीं हूँ मैं
हम कहाँ के दाना थे किस हुनर में यकता थे
गिरनी थी हम पे बर्क़-ए-तजल्ली न तूर पर
काबे में जा रहा तो न दो ताना क्या कहें
मुद्दत हुई है यार को मेहमाँ किए हुए
आज हम अपनी परेशानी-ए-ख़ातिर उन से
गरचे है तर्ज़-ए-तग़ाफ़ुल पर्दा-दार-ए-राज़-ए-इश्क़
हाँ ऐ फ़लक-ए-पीर जवाँ था अभी आरिफ़
इब्न-ए-मरयम हुआ करे कोई
न सुनो गर बुरा कहे कोई
हर बुल-हवस ने हुस्न-परस्ती शिआ'र की