हो जाती है हवा क़फ़स-ए-तन से छट के रूह
क्या सैद भागता है रिहा हो के दाम से
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दुनिया में यही चोर बनाता है असस को
उस बुत को छोड़ कर हरम-ओ-दैर पर मिटे
तोहमत-ए-जुर्म-ओ-ख़ता हिर्स-ओ-हवा ग़फ़लत-ए-दिल
काबा-ओ-दैर एक समझते हैं रिंद-ए-पाक
जिस क़दर वो मुझ से बिगड़ा मैं भी बिगड़ा उस क़दर
सिखला रहा हूँ दिल को मोहब्बत के रंग-ढंग
मुझ सा आशिक़ आप सा माशूक़ तब होवे नसीब
सदा-ए-क़ुलक़ुल-ए-मीना मुझे नहीं आती
ख़ुद रहम कीजिए दिल-ए-उम्मीद-वार पर
कली जो गुल की चटक रही है तबीअ'त अपनी खटक रही है
हमेशा सैर-ए-गुल-ओ-लाला-ज़ार बाक़ी है