मेरी आँखों में हुए रौशन जो अश्कों के चराग़
उन के होंटों पर तबस्सुम का दिया जलता रहा
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दूर रहती हैं सदा उन से बलाएँ साहिल
कोई करता है जब हिन्दोस्तान की बात ए 'साहिल'
तू अगर बा-उसूल हो जाए
राह-ए-हक़ में तुझे हस्ती को मिटाना होगा
तिरी सूरत मुझे बताती है
मेरी नींदें हराम क्या होंगी
मरते दम तक सब मुझ को इंसान कहें
वो यक़ीनन वली सिफ़त होगा
होश खो कर जोश में कुछ इस तरह मैं बह गया
जुस्तुजू तेरी तरह ग़म तिरी क़ुर्बत क्या है
ऐसा नहीं सलाम किया और गुज़र गए