हँसी है दिल-लगी है क़हक़हे हैं
तुम्हारी अंजुमन का पूछना क्या
Anwar Masood
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Mir Taqi Mir
Jaun Eliya
Allama Iqbal
Wasi Shah
Parveen Shakir
Faiz Ahmad Faiz
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तौबा की रिंदों में गुंजाइश कहाँ
दिल में आने के 'मुबारक' हैं हज़ारों रस्ते
जबीं पर ख़ाक है ये किस के दर की
बिखरी हुई है यूँ मिरी वहशत की दास्ताँ
ये तसर्रुफ़ है 'मुबारक' दाग़ का
या दूर मिरा हिजाब कर दे
आने में कभी आप से जल्दी नहीं होती
जो लड़खड़ाए क़दम मय-कदे में मस्तों के
मिरी ख़ाक भी उड़ेगी बा-अदब तिरी गली में
मोहब्बत में वफ़ा की हद जफ़ा की इंतिहा कैसी
तुम्हारी शर्त-ए-मोहब्बत कभी वफ़ा न हुई
तेरी बख़्शिश के भरोसे पे ख़ताएँ की हैं