दुनिया के इस इबरत-ख़ाने में हालात बदलते रहते हैं
जो लोग थे कल मशहूर-ए-जहाँ हैं आज वही गुमनामी में
Wasi Shah
Rahat Indori
Anwar Masood
Mir Taqi Mir
Parveen Shakir
Allama Iqbal
Ahmad Faraz
Habib Jalib
Mohsin Naqvi
Javed Akhtar
Jaun Eliya
Gulzar
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वज्ह-ए-सुकूँ न बन सकीं हुस्न की दिल-नवाज़ियाँ
जुनूँ में मश्क़-ए-तसव्वुर बढ़ा रहा हूँ मैं
वो नाम ज़हर का रख दें दवा तो क्या होगा
दूर रह कर वतन की फ़ज़ा से जब भी अहबाब की याद आई
बाँधा था ख़ुद ही आप ने पैग़ाम-ए-इल्तिफ़ात
इक इंक़लाब-ए-मुसलसल है ज़िंदगी मेरी
फ़ैज़ान-ए-मोहब्बत न हुआ आम अभी तक
उन की निगाह-ए-लुत्फ़ की तासीर क्या कहूँ
उन्हें ख़ुदा का अमल शर्मसार कर देगा
अजब बे-कैफ़ है रातों की तन्हाई कई दिन से
तर्क-ए-तअल्लुक़ात का कुछ उन को ग़म नहीं