मोहब्बत एक पाकीज़ा अमल है इस लिए शायद
सिमट कर शर्म सारी एक बोसे में चली आई
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ख़ुद अपने ही हाथों का लिखा काट रहा हूँ
जुदा रहता हूँ मैं तुझ से तो दिल बे-ताब रहता है
मिट्टी में मिला दे कि जुदा हो नहीं सकता
तुम्हें भी नींद सी आने लगी है थक गए हम भी
अलमारी से ख़त उस के पुराने निकल आए
ऐसा लगता है कि कर देगा अब आज़ाद मुझे
तुम्हारा नाम आया और हम तकने लगे रस्ता
तमाम जिस्म को आँखें बना के राह तको
लिपस्टिक
बच्चों की फ़ीस उन की किताबें क़लम दवात
मैं इस से पहले कि बिखरूँ इधर उधर हो जाऊँ