दौलत-ए-फ़क़्र-ओ-फ़ना से हैं तवंगर हम लोग
जूतियाँ मारें हैं इक़बाल के सर पर हम लोग
Mir Taqi Mir
Parveen Shakir
Gulzar
Wasi Shah
Ahmad Faraz
Mohsin Naqvi
Faiz Ahmad Faiz
Jaun Eliya
Habib Jalib
Rahat Indori
Javed Akhtar
Allama Iqbal
Love Poetry
Funny Poetry
Sad Poetry
Rain Poetry
Sharabi Poetry
Friends Poetry
(292) Peoples Rate This
है ये फ़लक-ए-सिफ़्ला वो फीका सा फ़रंगी
तुम बाँकपन ये अपना दिखाते हो हम को क्या
मौसम-ए-होली है दिन आए हैं रंग और राग के
तेरे कूचे से सफ़र मैं ने किया था जिस दिन
किधर जाइए और कहाँ बैठिए
दम ग़नीमत है कि वक़्त-ए-ख़ुश-दिली मिलता नहीं
आस्तीं उस ने जो कुहनी तक चढ़ाई वक़्त-ए-सुब्ह
वहशत है मेरे दिल को तो तदबीर-ए-वस्ल कर
ले लिया प्यार से अक्स अपने का झुक कर बोसा
कह दो मजनूँ से करे अपनी सवारी तय्यार
कुछ शेर-ओ-शायरी से नहीं मुझ को फ़ाएदा
बैठा था आ के क़ैस तो लैला के दर पे लेक