मिज़्गाँ-ज़दन से कम है ज़मान-ए-नमाज़-ए-इश्क़
हो जावे फ़ौत वक़्त ही जब तक वज़ू करें
Anwar Masood
Ahmad Faraz
Habib Jalib
Rahat Indori
Allama Iqbal
Wasi Shah
Jaun Eliya
Parveen Shakir
Faiz Ahmad Faiz
Javed Akhtar
Mir Taqi Mir
Mohsin Naqvi
Love Poetry
Funny Poetry
Sad Poetry
Rain Poetry
Sharabi Poetry
Friends Poetry
(250) Peoples Rate This
शब-ए-विसाल कब आती है मेरे घर ऐ चर्ख़
यक नाला-ए-आशिक़ाना है याँ
कशिश ने इश्क़ की क्या काम कुछ किया थोड़ा
ऐ फ़लक तुझ को क़सम है मिरी इस को न बुझा
ठठ की ठठ इतनी चली आती है ये काहे को
सूख कर रह गया है काग़ज़ वार
हर चंद अमर्दों में है इक राह का मज़ा
काफ़िर मुझे न कहियो ऐ मोमिनान-ए-सादिक़
मेरे दिल-ए-शिकस्ता को कहती है देख ख़ल्क़
बस तू ने अपने मुँह से जो पर्दा उठा दिया
ख़्वाब था या ख़याल था क्या था
आग़ोश की हसरत को बस दिल ही में मारुँगा