अगर तक़दीर सीधी है तो ख़ुद हो जाओगे सीधे
ख़फ़ा बैठे रहो तुम को मनाने कौन आता है
Ahmad Faraz
Javed Akhtar
Jaun Eliya
Wasi Shah
Mohsin Naqvi
Allama Iqbal
Gulzar
Faiz Ahmad Faiz
Parveen Shakir
Mir Taqi Mir
Habib Jalib
Anwar Masood
Love Poetry
Funny Poetry
Sad Poetry
Rain Poetry
Sharabi Poetry
Friends Poetry
(378) Peoples Rate This
बुत-ख़ाने में क्या याद-ए-इलाही नहीं मुमकिन
वो मज़ाक़-ए-इश्क़ ही क्या कि जो एक ही तरफ़ हो
ख़त फाड़ के फेंका है तो लिक्खा भी मिटा दो
क्या कहूँ हसरत-ए-दीदार ने क्या क्या खींचा
किसी के संग-ए-दर से अपनी मय्यत ले के उट्ठेंगे
माइल-ए-सोहबत-ए-अग़्यार तो हम हैं तुम कौन
किसी बुत की अदा ने मार डाला
तसव्वुर में तिरा दर अपने सर तक खींच लेता हूँ
इतने अच्छे हो कि बस तौबा भली
उठते जोबन पे खिल पड़े गेसू
हाल-ए-दिल अग़्यार से कहना पड़ा
तड़प ही तड़प रह गई सिर्फ़ बाक़ी