सो गए लोग उस हवेली के
एक खिड़की मगर खुली है अभी
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याद है अब तक तुझ से बिछड़ने की वो अँधेरी शाम मुझे
मुझे ये डर है तिरी आरज़ू न मिट जाए
तिरे आने का धोका सा रहा है
गली गली मिरी याद बिछी है प्यारे रस्ता देख के चल
याद आता है रोज़ ओ शब कोई
आज देखा है तुझ को देर के बअ'द
ये हक़ीक़त है कि अहबाब को हम
यूँ तो हर शख़्स अकेला है भरी दुनिया में
धूप थी और बादल छाया था
आँच आती है तिरे जिस्म की उर्यानी से
मैं सोते सोते कई बार चौंक चौंक पड़ा
इस क़दर रोया हूँ तेरी याद में