नातिक़ गुलावठी कविता, ग़ज़ल तथा कविताओं का नातिक़ गुलावठी (page 5)
नाम | नातिक़ गुलावठी |
---|---|
अंग्रेज़ी नाम | Natiq Gulavthi |
नहीं रुकता तो जा ख़ुदा-हाफ़िज़
मुद्दतें हो गई होता नहीं फेरा तेरा
मिरे ग़म की उन्हें किस ने ख़बर की
मजनूँ से जो नफ़रत है दीवानी है तू लैला
महफ़िल-ए-नाज़ से मैं हो के परेशान उठा
क्यूँ ख़याल-ए-रंज-ओ-राहत से न हों बेगाना हम
क्या इरादे हैं वहशत-ए-दिल के
क्या इरादे हैं वहशत-ए-दिल के
किस को मेहरबाँ कहिए कौन मेहरबाँ अपना
ख़ुद हो के कुछ ख़ुदा से भी मर्द-ए-ख़ुदा न माँग
ख़िरद-आमोज़ हस्ती है मगर अब क्या कहूँ वो भी
कर दिया दहर को अंधेर का मस्कन कैसा
कभी सोज़-ए-दिल का गिला किया कभी लब से शोर-ए-फ़ुग़ाँ उठा
जुनूँ तलाश में है पा न ले बहार मुझे
जो सुनते हैं तो मैं मम्नून हूँ उन की इनायत का
जिस की हसरत थी उसे पा भी चुके खो भी चुके
जीने देगा भी हमें ऐ दिल जिएँ भी या न हम
इज़्तिराब-ए-दिल में आ जा कर दवाम आ ही गया
इस ग़म को ग़म कहें तो कहें सौ में हम ग़लत
ग़म जुदा पेश रहा है मिरे अफ़्कार जुदा
ढूँडती है इज़्तिराब-ए-शौक़ की दुनिया मुझे
ढूँढती है इज़्तिराब-ए-शौक़ की दुनिया मुझे
देखता रहता हूँ अक्सर शाम-ए-क़ुदरत देख कर
दयार-ए-होश की पहले जुनूँ ख़बर लेना
दम कोई दम का है मेहमाँ अलविदा'अ
भर पाए जान-ए-ज़ार तिरी दोस्ती से हम
भाग कि मंज़िल-ए-क़रार उम्र की रहगुज़र नहीं
बज़्म-ए-दुनिया जिस को कहते हैं वो पागल-ख़ाना था
बादा-मस्ती आ करामत हो के मयख़ाने में आ
ऐ मुसव्विर सूरत-ए-दिल-गीर खींच