मालूम कि इंसान किसे कहते हैं
समझा कि मुसलमान किसे कहते हैं
बहका के मुझे लाए हो मय-ख़ाना से
अब ये कहो शैतान किसे कहते हैं
Parveen Shakir
Faiz Ahmad Faiz
Gulzar
Anwar Masood
Wasi Shah
Habib Jalib
Mir Taqi Mir
Mohsin Naqvi
Jaun Eliya
Javed Akhtar
Allama Iqbal
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जी में आता है कि दें पर्दे से पर्दे का जवाब
एक दीवाने को जो आए हैं समझाने कई
वो आइना हूँ जो कभी कमरे में सजा था
दीपावली
कितनी शर्मीली लजीली है हवा बरसात की
'प्रेमचंद' एक था एक से इक जहाँ बन गया
अंधेरा माँगने आया था रौशनी की भीक
होली
जो ग़ज़ल महलों से चल कर झोंपड़ों तक आ गई
रास्ता रोके हुए कब से खड़ी है दुनिया
हमारे अहल-ए-चमन हम से सरगिराँ तो नहीं
जब से वो कह के गए हैं कि अभी आते हैं