किनारे पाँव से तलवार कर दी
हमें ये जंग ऐसे जीतनी थी
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कोई समझाए मिरे मद्दाह को
बताऊँ कैसे कि सच बोलना ज़रूरी है
फ़क़ीर लोग रहे अपने अपने हाल में मस्त
ख़ुदा मुआफ़ करे ज़िंदगी बनाते हैं
पहनते ख़ाक हैं ख़ाक ओढ़ते बिछाते हैं
दिन-ब-दिन घटती हुई उम्र पे नाज़िल हो जाए
हैं लापता ज़माने से सारे के सारे ख़्वाब
पेश लफ़्ज़ एक मोहब्बत नामे का
दिल दे न दे मगर ये तिरा हुस्न-ए-बे-मिसाल
इश्क़ का मतलब किसे मालूम था
किसी के साए किसी की तरफ़ लपकते हुए
सब अपने अपने ख़ुदाओं में जा के बैठ गए