नज्द में क्या क़ैस का है उर्स आज
नंगे नंगे जम्अ' हैं हम्माम में
Anwar Masood
Ahmad Faraz
Gulzar
Allama Iqbal
Wasi Shah
Parveen Shakir
Rahat Indori
Mohsin Naqvi
Javed Akhtar
Faiz Ahmad Faiz
Jaun Eliya
Habib Jalib
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वा'दा था जिस का हश्र में वो बात भी तो हो
मुझ को लेना है तिरे रंग-ए-हिना का बोसा
रहे हम आशियाँ में भी तो बर्क़-ए-आशियाँ हो कर
मर गया हूँ पे तअ'ल्लुक़ है ये मय-ख़ाने से
लब-ए-मय-गूँ का तक़ाज़ा है कि जीना होगा
इस से अच्छे दश्त-ए-सहरा इस से अच्छे गर्द-बाद
रहमत से 'रियाज़' उस की थे साथ फ़रिश्ते दो
रंग लाएगा दीदा-ए-पुर-आब
कहती है ऐ 'रियाज़' दराज़ी ये रीश की
दर्द हो तो दवा करे कोई
उन के होते कौन देखे दीदा-ओ-दिल का बिगाड़
आगे कुछ बढ़ कर मिलेगी मस्जिद-ए-जामे 'रियाज़'