लाज़िम मलज़ूम हो गए ज़ात-ओ-सिफ़ात
हैं शख़्स-ओ-वजूद अक्स-ओ-साया का सबात
तौहीद का जल्वा हैं हुदूस और क़िदम
मादूम सिफ़त है ज़ात क़ाएम है ब-ज़ात
Anwar Masood
Faiz Ahmad Faiz
Allama Iqbal
Javed Akhtar
Rahat Indori
Habib Jalib
Mir Taqi Mir
Parveen Shakir
Gulzar
Wasi Shah
Ahmad Faraz
Jaun Eliya
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चार उंसुर से बना है जिस्म-ए-पाक
आलम का वजूद है नुमूद-ए-बे-बूद
मिल-मिला के दोनों ने दिल को कर दिया बरबाद
मरदूद-ए-ख़लाइक़ हूँ गुनहगार हूँ मैं
हम गदा-ए-दर-ए-मय-ख़ाना हैं ऐ पीर-ए-मुग़ाँ
निशाँ इल्म-ओ-अदब का अब भी है उजड़े दयारों में
जसद ने जान से पूछा कि क़ल्ब-ए-बे-रिया क्या है
है सनम-ख़ाना मिरा पैमान-ए-इश्क़
या-रब मिरे दिल को कर अता सिद्क़-ओ-सफ़ा
ग़म-ए-मौजूद ग़लत और ग़म-ए-फ़र्दा बातिल
चश्म-ए-मस्त-ए-साक़ी से दिल हुआ ख़राब-आबाद
दैर-ओ-हरम हैं मंज़र-ए-आईन-ए-इख़तिलाफ़