फिर खो न जाएँ हम कहीं दुनिया की भीड़ में
मिलती है पास आने की मोहलत कभी कभी
Rahat Indori
Wasi Shah
Jaun Eliya
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Gulzar
Anwar Masood
Habib Jalib
Mir Taqi Mir
Faiz Ahmad Faiz
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नज़र से दिल में समाने वाले मिरी मोहब्बत तिरे लिए है
तेरा मिलना ख़ुशी की बात सही
ज़मीं ने ख़ून उगला आसमाँ ने आग बरसाई
माज़ूरी
शिकस्त
तू मुझे छोड़ के ठुकरा के भी जा सकती है
उन के रुख़्सार पे ढलके हुए आँसू तौबा
मैं जागूँ सारी रैन सजन तुम सो जाओ
फ़रार
दीवारों का जंगल जिस का आबादी है नाम
इतनी हसीन इतनी जवाँ रात क्या करें
दूर रह कर न करो बात क़रीब आ जाओ