जो तुम कहते हो मुझ से पहले तुम आए थे महफ़िल में
तो फिर तुम ही बताओ आज क्या क्या होने वाला है
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Parveen Shakir
Mir Taqi Mir
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Javed Akhtar
Gulzar
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अपने ही साए से हर गाम लरज़ जाता हूँ
दिल जो टूटा है तो फिर याद नहीं है कोई
तिरी दुआएँ भी शामिल हैं कोशिशों में मिरी
देर तक जागते रहने का सबब याद आया
सहरा कोई बस्ती कोई दरिया है कि तुम हो
बादा-ओ-जाम के रहे ही नहीं
तो देखें और किसी को जो वो नहीं मौजूद
तमाम उम्र ब-क़ैद-ए-सफ़र रहा हूँ मैं
आँखों ने बनाई थी कोई ख़्वाब की तस्वीर
मैं अपने-आप से आगे निकल गया हूँ बहुत
उसी के ख़्वाब थे सारे उसी को सौंप दिए