सीमाब अकबराबादी कविता, ग़ज़ल तथा कविताओं का सीमाब अकबराबादी (page 3)
नाम | सीमाब अकबराबादी |
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अंग्रेज़ी नाम | Seemab Akbarabadi |
जन्म की तारीख | 1880 |
मौत की तिथि | 1951 |
जन्म स्थान | Karachi |
नसीम-ए-सुब्ह गुलशन में गुलों से खेलती होगी
नाहक़ शिकायत-ए-ग़म-ए-दुनिया करे कोई
न वो फ़रियाद का मतलब न मंशा-ए-फ़ुग़ाँ समझे
मुरत्तब हो के इक महशर ग़ुबार-ए-दिल से निकलेगा
मुझे फ़िक्र-ओ-सर-ए-वफ़ा है हनूज़
मेरी रिफ़अत पर जो हैराँ है तो हैरानी नहीं
महफ़िल-ए-इश्क़ में जब नाम तिरा लेते हैं
ख़ुद उठ के हाथ मेरे गरेबाँ में आ गए
खो कर तिरी गली में दिल-ए-बे-ख़बर को मैं
ख़त्म इस तरह नज़ा-ए-हक़-ओ-बातिल हो जाए
कमाल-ए-इलम ओ तहक़ीक़-ए-मुकम्मल का ये हासिल है
जो उम्र तेरी तलब में गँवाए जाते हैं
जो सालिक है तो अपने नफ़्स का इरफ़ान पैदा कर
जो मेरे तंगना-ए-दिल में तुझ को जल्वा-गर देखा
जो इंसाँ बारयाब-ए-पर्दा-ए-असरार हो जाए
जिस जगह जम्अ तिरे ख़ाक-नशीं होते हैं
जरस है कारवान-ए-अहल-ए-आलम में फ़ुग़ाँ मेरी
जल्वा-गाह-ए-दिल में मरते ही अँधेरा हो गया
जहान-ए-रंग-ओ-बू में मुस्तक़िल तख़्लीक़-ए-मस्ती है
जाग और देख ज़रा आलम-ए-वीराँ मेरा
जब तक ग़म-ए-उल्फ़त का उंसुर न मिला होगा
इश्क़ ख़ुद माइल-ए-हिजाब है आज
इजाज़त दे कि अपनी दास्तान-ए-ग़म बयाँ कर लें
इदराक ख़ुद-आश्ना नहीं है
हुस्न के दिल में जगह पाते ही दीवाना बने
हम हैं सर-ता-बा-पा तमन्ना
हस्ती को मिरी मस्ती-ए-पैमाना बना दे
हद हो कोई तो सब्र तिरे हिज्र पर करें
ग़म मुझे हसरत मुझे वहशत मुझे सौदा मुझे
दिल तेरे तग़ाफ़ुल से ख़बर-दार न हो जाए