सीमाब अकबराबादी कविता, ग़ज़ल तथा कविताओं का सीमाब अकबराबादी (page 2)
नाम | सीमाब अकबराबादी |
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अंग्रेज़ी नाम | Seemab Akbarabadi |
जन्म की तारीख | 1880 |
मौत की तिथि | 1951 |
जन्म स्थान | Karachi |
कहानी है तो इतनी है फ़रेब-ए-ख़्वाब-ए-हस्ती की
जब दिल पे छा रही हों घटाएँ मलाल की
हुस्न में जब नाज़ शामिल हो गया
है हुसूल-ए-आरज़ू का राज़ तर्क-ए-आरज़ू
हाए 'सीमाब' उस की मजबूरी
गुनाहों पर वही इंसान को मजबूर करती है
दुनिया है ख़्वाब हासिल-ए-दुनिया ख़याल है
दिल-ए-आफ़त-ज़दा का मुद्दआ क्या
दिल की बिसात क्या थी निगाह-ए-जमाल में
देखते रहते हैं छुप-छुप के मुरक़्क़ा तेरा
देखते ही देखते दुनिया से मैं उठ जाऊँगा
चमक जुगनू की बर्क़-ए-बे-अमाँ मालूम होती है
बुत करें आरज़ू ख़ुदाई की
बरहमन कहता था बरहम शैख़ बोल उठा अहद
अब वहाँ दामन-कशी की फ़िक्र दामन-गीर है
गौतम-बुद्ध
जिंदान-ए-काएनात में महसूर कर दिया
ज़ब्त से ना-आश्ना हम सब्र से बेगाना हम
ये किस ने शाख़-ए-गुल ला कर क़रीब-ए-आशियाँ रख दी
ये दौर-ए-तरक़्क़ी है रिफ़अत का ज़माना है
वुसअतें महदूद हैं इदराक-ए-इंसाँ के लिए
वो जब रंग-ए-परेशानी को ख़ल्वत-गीर देखेंगे
तक़दीर में इज़ाफ़ा-ए-सोज़-ए-वफ़ा हुआ
सुकूँ-पज़ीर जुनून-ए-शबाब हो न सका
सुबू पर जाम पर शीशे पे पैमाने पे क्या गुज़री
शुक्रिया हस्ती का! लेकिन तुम ने ये क्या कर दिया
शायद जगह नसीब हो उस गुल के हार में
शाम-ए-फ़ुर्क़त इंतिहा-ए-गर्दिश-ए-अय्याम है
रोज़-ए-फ़िराक़ हर तरफ़ इक इंतिशार था
रस्मन ही उन को नाला-ए-दिल की ख़बर तो हो