अख़्लाक़ से जहल इल्म-ओ-फ़न से ग़ाफ़िल
मज़मूँ जो देखें तो मिस्ल-ए-ख़त बातिल
उर्दू अख़बार के एडीटर अक्सर
लिक्खे न पढ़े नाम मोहम्मद-फ़ाज़िल
Wasi Shah
Anwar Masood
Gulzar
Allama Iqbal
Javed Akhtar
Rahat Indori
Jaun Eliya
Habib Jalib
Parveen Shakir
Mir Taqi Mir
Faiz Ahmad Faiz
Mohsin Naqvi
Love Poetry
Funny Poetry
Sad Poetry
Rain Poetry
Sharabi Poetry
Friends Poetry
(914) Peoples Rate This
हर तरह की दिल में चाह कर के छोड़े
काबा ओ दैर में जल्वा नहीं यकसाँ उन का
हूँ इस कूचे के हर ज़र्रे से आगाह
ये वहम किसी तरह न माक़ूल हुआ
तमन्नाओं में उलझाया गया हूँ
सियाहकार सियह-रू ख़ता-शिआर आया
अब भी इक उम्र पे जीने का न अंदाज़ आया
तमाम उम्र नमक-ख़्वार थे ज़मीं के हम
जीते जी हम तो ग़म-ए-फ़र्दा की धुन में मर गए
मैं हैरत ओ हसरत का मारा ख़ामोश खड़ा हूँ साहिल पर
बाज़ अहल-ए-वतन से अब भी दुख पाता हूँ