आँखों को सब की नींद भी दी ख़्वाब भी दिए
हम को शुमार करती रही दुश्मनों में रात
Jaun Eliya
Wasi Shah
Javed Akhtar
Rahat Indori
Faiz Ahmad Faiz
Anwar Masood
Parveen Shakir
Habib Jalib
Mohsin Naqvi
Ahmad Faraz
Gulzar
Mir Taqi Mir
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मैं सोचता हूँ मगर याद कुछ नहीं आता
कच्चे रस्तों से
हँस रहा था मैं बहुत गो वक़्त वो रोने का था
अपनी याद में
मंज़र गुज़िश्ता शब के दामन में भर रहा है
तिरा ख़याल भी तेरी तरह सितमगर है
अक्स-ए-याद-ए-यार को धुँदला किया है
ये क्या जगह है दोस्तो ये कौन सा दयार है
गुम-शुदा
आँधियाँ आती थीं लेकिन कभी ऐसा न हुआ
उस को किसी के वास्ते बे-ताब देखते
रात को दिन से मिलाने की हवस थी हम को